Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: #shayri
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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( दुनियां ) एक सोच में डूबी हूँ क्या करूँ और किस काम को छोड़ दूं…. महाकाल , भयावह काल , कोरोना काल का यह…
म्हा- शक्ति
मौलिक–विचार है म्हा–शक्ति, जो उसने ख़ुद तेरे चित् जगाई है, रहते ख़ास कारण उसके काम मैँ,क्यों उसने तुममे यह भरपाई है ? निर–विचार जो…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
कर्मयोगी
कर्मयोगी अपने कामुक सुखों को कर दमन , अपने गुस्से को दया मेँ कर बदल , अपने लालच को दान की राह कर चलन…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
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