दुःखी आत्मा….!!

निस्तेज-सी
स्तब्ध-सी
असहाय-सी
अधूरी-सी
निर्वेद-सी
बैठी थी..
दुनिया की सबसे दुःखी आत्मा
मैं ही थी…
आपा खोकर भी मौन थी
तुमसे दो टूक
करने के बाद
सारे ऱिश्ते खत्म करने
के बाद
क्रोध में आकर
फेंक दिया मैंने
छत से अपना प्यारा फोन!!

बैटरी अलग
ढक्कन अलग
यूं बिखर गया..
उठाया, समेटा, जोड़ा
पर ना खुला
ना चला
टूटा तो नहीं परन्तु
आह !
मेरा फोन भी तुम्हारे प्यार में
मेरी तरह अन्धा हो गया..
ना वो बनवा पाई
ना दूसरा ही खरीद पाई…!!

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

    1. पहले खुद कूदना चाहती थी फिर सोंचा फोन फेककर देखूं..
      फोन की हालत देखकर इरादा बदल दिया..
      हा हा हा.
      सिर्फ कल्पना है दी
      फोन नहीं फेकूगी दूसरे का वरना फिर मांगे भी नहीं मिलेगा

+

New Report

Close