Categories: मुक्तक
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बहाता हूँ सरिता
हर एक कविता लिखता हूँ जो भी लक्षित नहीं कोई स्वयं लक्ष्य हूँ मैं। किसी से नहीं है अधिक प्यार मुझको किसी से नहीं कोई…
एक ऐसी ईद
एक ऐसी ईद भी आई एक ऐसी नवरात गई जब न मंदिरों में घंटे बजे न मस्जिदों में चहल कदमी हुई बाँध रखा था हमने…
कविता बहती है
कविता बहती है कविता तो केवल व्यथा नहीं, निष्ठुर, दारुण कोई कथा नहीं, या कवि शामिल थोड़ा इसमें, या तू भी थोड़ा, वृथा नहीं। सच…
बाढ़
कहानी-बाढ़ ————– सूरज निकलने वाला ही था कि बारिश रिमझिम शुरू हो गई| दोपहर होते-होते बारिश विकराल रूप धारण कर ली चारों तरफ बादल में…
लिखते लिखते नीर बहे,,
कविता इक खूब नहाती दिखी, कुछ मधुर, पंक्ति गाती दिखी , “छटा घन घोर ,मन बड़ा हर्षाया , यूं तो कविता में कागज में ही…
सुन्दर
बहुत ही अच्छा
वीर रस
जय हिंद