Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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चल अम्बर अम्बर हो लें.. धरती की छाती खोलें.. ख्वाबों के बीज निकालें.. इन उम्मीदों में बो लें.. सागर की सतही बोलो.. कब शांत रहा…
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बेड़ियां
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बहुत खूब, क्या बात है
धन्यवाद
अतीव सुन्दर
धन्यवाद
वाह वाह, बहुत खूब, सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही लाजवाब
शुक्रिया जनाब
बेहतरीन
धन्यवाद
बहुत सुंदर भवाभिव्यक्ती है भाई जी ।आपकी कविता में बहुत गहराई है ।
बहुत बहुत धन्यवाद बहिन