नव आरंभ
आज वही दिन है
जब मेरी मुझसे पहचान हुई
मुझमें भी है लेखन क्षमता
इक नई खूबी की आभास हुई
मेरे अल्फ़ाज़
मेरी ख़ामोशी की आवाज़ बने
इक नई सुबहा हुई
नयी उम्मीदों से मुलाक़ात हुई
चल पङी इस सफ़र पर
आरंभ इक अजनबी मंजिल की तलाश हुई
सुमन थी जो घर आंगन तक
आर्या बनने की शुरुआत हुई।।
बहुत खूब अति सुंदर रचना
बहुत ही सुंदर