Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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नशा ही नशा
किसी को इश्क का नशा, किसी को रश्क का नशा। किसी को शय का नशा, किसी को मय का नशा। किसी को दौलत का नशा,…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
गटर
कविता-गटर —————– प्यास थी सरिता की, पोखर भी, नसीब ना| सोचा था, अपना भी, विशाल सा, घर होगा| रंग बिरंगी, दुनिया में प्यारा सा कुनबा…
नशा नाश का दूजा नाम तन, मन, धन तीनों बेकार…
नशा नहीं जिन्दगी अपनाएं
नशे की आदत और उसकी हानि को दर्शाती हुई बेहद खूबसूरत रचना है कवि सतीश जी की
नशा जीवन मे पनपती ऐसी लत है जिसका पथ चिकना, ढालू होता है शीघ बढकर जीवन को नष्ट करने लगती है ।
बहुत खूब