नारी शक्ति
दुर्गा का ले अब अवतार,
कर दे मर्दन,
तोड़ दे सारे मोह के बंधन।
तू ही तो है गृहस्थी का आधार,
तेरे बिना घर केवल नरक का द्वार।
मांगी जाती है कदम-कदम पर अग्नि परीक्षा,
कभी किसी ने पूछा क्या तेरी है इच्छा?
कभी कोख में मार दिया,
कभी दहेज के लिए जिंदा जला दिया।
ना मर्दों की नापाक इरादे पूरे ना हो पाए तो,
तेजाब से चेहरा जला दिया।
अपमानित करके तुझको, आत्महत्या पर मजबूर किया।
कभी तीन तलाक के शब्द बोलकर,
अस्तित्व को ही हिला दिया।
कभी फूल सी कोमल नन्ही परियों को,
राक्षसों ने रौंद दिया।
उठो नारी शक्ति बनो।
अबला नहीं सबला बनो।
तुम दुर्गा हो तुम काली हो
खुद ही अपनी क्यों नहीं करती रखवाली हो।
नारी तुम्हें खुद ही संबल बनना होगा।
अंगारों कांटो पर तो खूब चली,
शक्ति को पहचानना होगा
कालिका तुम्हें बनना होगा।
निमिषा सिंघल
Good
Dhanyvad
Nice
Thank you
Thanks dear
बहुत सुन्दर
💐
Nice
❤️❤️❤️❤️
वाह
Thank you
वाह