नारी शक्ति

दुर्गा का ले अब अवतार,
कर दे मर्दन,
तोड़ दे सारे मोह के बंधन।
तू ही तो है गृहस्थी का आधार,
तेरे बिना घर केवल नरक का द्वार।
मांगी जाती है कदम-कदम पर अग्नि परीक्षा,
कभी किसी ने पूछा क्या तेरी है इच्छा?
कभी कोख में मार दिया,
कभी दहेज के लिए जिंदा जला दिया।
ना मर्दों की नापाक इरादे पूरे ना हो पाए तो,
तेजाब से चेहरा जला दिया।
अपमानित करके तुझको, आत्महत्या पर मजबूर किया।
कभी तीन तलाक के शब्द बोलकर,
अस्तित्व को ही हिला दिया।
कभी फूल सी कोमल नन्ही परियों को,
राक्षसों ने रौंद दिया।
उठो नारी शक्ति बनो।
अबला नहीं सबला बनो।
तुम दुर्गा हो तुम काली हो
खुद ही अपनी क्यों नहीं करती रखवाली हो।
नारी तुम्हें खुद ही संबल बनना होगा।
अंगारों कांटो पर तो खूब चली,
शक्ति को पहचानना होगा
कालिका तुम्हें बनना होगा।
निमिषा सिंघल

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

+

New Report

Close