निराशा में हमेशा हौसला
दिया जब भी दिखाता हूँ मैं
तुम सूरज दिखाती हो,
निराशा में हमेशा हौसला
मुझमें जगाती हो।
बताओ ना कि इतना क्यों
मुझे सम्मान देती हो,
स्वयं की हर ख़ुशी को क्यों भला
मुझ पर लुटाती हो।
दिया जब भी दिखाता हूँ मैं
तुम सूरज दिखाती हो,
निराशा में हमेशा हौसला
मुझमें जगाती हो।
बताओ ना कि इतना क्यों
मुझे सम्मान देती हो,
स्वयं की हर ख़ुशी को क्यों भला
मुझ पर लुटाती हो।
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बहुत ही बढ़िया
बहुत बहुत धन्यवाद
Shandar
Thanks
बहुत सुन्दर, वाह
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
सादर धन्यवाद जी
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Very very nice
Thank you very much
वाह पाण्डेय जी, बहुत अच्छा लिखते हो।
बहुत धन्यवाद
इस सुंदर कविता हेतु सादर धन्यवाद सर
सादर धन्यवाद
बेहतरीन प्रस्तुति,लाजवाब
सादर धन्यवाद जी
अतिसुंदर
सादर धन्यवाद शास्त्री जी