पहले सा जहाँ लौटा दो
मास्क-सेनेटाइजर से मुक्ति दिला दो
प्रभु फिर से वही हमारा जहाँ लौटा दो।
जहाँ खुलकर रह सकें,
खुली हवा में गमन कर सकें
गमगीन है इस धरा के वासी,
फिर से वही हंसी लौटा दो।
जहाँ छूने से पहले सोचें नहीं
एक-दूजे को मिलने से रोके नहीं
रास आए कैसे नजदीकिया,
जरा इसका पता बता दो।
वाह सुमन जी ,आजकल के माहौल को खूबसूरती से दर्शाया है।
गमगीन हैं धरा के वासी, फिर वही हंसी लौटा दो ।
बहुत सुंदरता से समसामयिक यथार्थ चित्रण किया है । बहुत ख़ूब
बहुत खूब
बहुत खूब
बहुत ही सुंदर