Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
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मृत टहनियाँ
वो टहनियाँ जो हरे भरे पेड़ों से लगे हो कर भी सूखी रह जाती है जिनपे न बौर आती है न पात आती है आज…
Very nice poem
थैंक्स
कहे सतीश अब है, हमको प्रकृति बचानी।
पेड़ लगाओ ताकि, मेघ बरसाये पानी।
____________ अद्भुत लेखनी है सर आपकी, जीवन की, प्रकृति की हर समस्या को कागज पर उतार कर रख देती है समाज के सामने ।कवि सतीश जी का पेड़ लगाने का,ताकि मेघ पानी बरसाए… बहुत खूबसूरत सुझाव, प्रकृति को बचाने की, छंद शैली में बहुत सुंदर कविता
उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही सुंदर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
अति सुंदर कविता
हृदय से धन्यवाद
अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद
Nice