पुलिस दरोगा भऊजी
सीतापुरिया अवधी
रचना = “हमरी तऊ पुलिस दरोगा भऊजी”
अउरेन की भऊजी जेलि करउती,
हमरी तऊ पुलिस, दरोगा भऊजी।
दिनु भरि स्वावईं अईसी-वईसी,
पहरा राति लगावई भऊजी।
भईया बाहेर तानाशाह बनति हँई,
उँगरिन नाचु नचावई भऊजी।
सीधी-साधी जेलि करउती,
हमरी तऊ पुलिस, दरोगा भऊजी।
कबहूँ हंसावई कबहूँ रोवावँई,
कठपुतली तना नचावँई भऊजी।
सास क त्वारँईं, नंद कच्वाटँई,
सब पर धाक जमावँई भऊजी।
अपनी बोली की बात ही कुछ और है।
एकदम सही कविता।
अपनी भाभी को भेज दो।
अपनी क्षेत्रीय बोली का उत्थान होना चाहिए।
रमई काका याद आ गए।👍👍
सुन्दर शब्द
मधुर शब्दावली
सुन्दर शब्दावली
Nice
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बहुत खूबसूरत लाजवाब
आभार आपका
बहुत अच्छी