प्राण से प्यारे गणतंत्र

प्राण से प्यारे गणतंत्र,
पल पल कोटि कोटि प्रणाम।

“**फूली नहीं समाती,**
छब्बीस जनवरी।
खुशियों के गीत गाती
छब्बीस जनवरी ।

गांधी भगत बिस्मिल ,
आजाद बोस की,
कुर्बानियाँ सुनाती ,
छब्बीस जनवरी ।

रक्षा करने स्वदेश की ,
हँसते हँसते सर्वस्व लुटाते हैं ।
उन अमर शहीदों को ,
स्वदेशवासी श्रद्धानत होकर शीष झुकाते हैं।

देशवासियों को शुभकामनाएँ, बधाइयाँ।

सविनय,
आप सभी का मित्र
जानकी प्रसाद विवश

Related Articles

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close