फेसबुक के चक्कर में
सदा सड़क पर बांध के मुखरा
घूमने वाली मैं थी जिसका
घुटन भला क्यों हो रही आली
घूंघट में ,क्या कारण इसका?
बेपर्द बनाया जग ने मुझको
या दोषी हूँ खुद हीं इसका ?
सिर से आंचल कैसे हट गई
तन मन कब बेपर्द हुआ?
मान घटा या बढ़ गया अपना
अपनों को कुछ दर्द हुआ।
फेश बुक के चक्कर में
सब रिश्ता बेपर्द हुआ।।
सोशल मीडिया के जहां फायदे हैं
वही बहुत सारे नुकसान भी हैं
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति शास्त्री सर
और सर ! समय-समय पर
हौसला अफजाई करने के लिए
तथा निष्पक्ष भाव से समीक्षा के लिए
बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद
आपका🙏
सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मान हासिल करने की अनूठी उपलब्धि के लिए बहुत बहुत बधाई
बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सर
सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स बताती हुई बेहद शानदार प्रस्तुति भाई जी।
बहुत सुंदर लिखा है सर वाह