फौलादी मन

फौलादी मन

किसी शाख कि मोहताज नहीं हूँ साहब
जमींर जिन्दा हैं मेहनत करके खाता हूँ
बैसाखी का नंगा नाच करके क्या हैं फायदा
मुझे अपने ऊपर हैं चट्टानो सा भरोसा

मेरी खुद्दारी का हाल तुम जानकर क्या करोगे
मेरी झोली में जितना हैं मैं उसी में खुश हूँ
कटोरे पकड़ मैं भी माँग कर गुजारा कर लेता
जमीं ही मेरी गवाही ना दी भीख की निवाले को

तरस खैरात की रोटी नहीं हैं कमाना
बैसाखी का बहाना बना नहीं पकड़ना हैं कटोरा
बाजू में दम हैं हिम्मत में हैं हौसला
मैं विकलांग हूँ तन से मन से मैं फौलादी

खुश हूँ खुश रहता हूँ मदमस्त जीता हूँ
परिवार कि जिम्मेदारी हौसले से पुरा करता हूँ
रोटी की निवाले को बाँट कर खा लेता हूँ
अपने जमींर को मैं कभी गिरने नहीं देता हूँ

महेश गुप्ता जौनपुरी

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

ख्वाहिश

समझदार हो गर, तो फिर खुद ही समझो। बताने से समझे तो क्या फायदा है॥ जो हो ख़ैरियतमंद सच्चे हमारे, तो हालत हमारी ख़ुद ही…

Responses

+

New Report

Close