बंधा है मन मेरा खयाल में जो आपसे

बंधा है मन मेरा खयाल में जो आपसे

हुआ है यह बे-खयाल हर जमाल से

                            …… यूई

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

मुक्तक

अज़ब बेकरारी हो जाती है हर शाम को! हऱ घड़ी जुबाँ पर लेता हूँ तेरे नाम को! दर्द की जंजीर से जकड़ जाती है जिन्द़गी, खोजता हूँ हरलम्हा मयक़शी के जाम को! Composed By #महादेव

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