बड़ा ही मुश्किल

कौन बुरा; कौन अच्छा,
जान पाना; बड़ा ही मुश्किल है।

कौन झूठा; कौन सच्चा,
हृदय में उतरना मुश्किल है।

कौन बैहरूपिया, कौन लंगोटिया,
किस में छिपा है ,असीम स्वार्थ,
ये भी परखना मुश्किल है‌।

कौन है, अपनों में दूश्मन ,
कौन है ,परायों में अपना,
निज हितैषी ढुंढना,
ये भी बड़ा ही मुश्किल है।

पर एक उपाय सूझा-सा,
झांक जरा-सा ज़हन में,
बैठा है जो मन में,
बस उसकी सुन!
वरना झेलते रहना,
सबको; बड़ा ही मुश्किल है।
 
       —-मोहन सिंह मानुष

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Responses

    1. अरे सर ! आपको भी बहुत बहुत बधाई ! 💐💐
      सावन टीम और आप जैसे सर्वश्रेष्ठ सदस्यों की वजह से ही हौसला बढ़ता लिखने का है और त्रुटियों को सुधारने का भी मौका मिलता है। सावन टीम एवं आपका हार्दिक अभिनन्दन, धन्यवाद 🙏🙏

    1. प्रज्ञा जी !प्रशंसा के लिए बहुत आभार,धन्यवाद।
      आपकी रचनाओं को भी पढ़ा है मैंने बहुत अच्छा लिखती हैं आप।
      और सुमन जी की रचनाएं भी बेहतरीन होती है

      1. यह आपका बड़प्पन है और कुछ नहीं मैं तो अभी बहुत छोटी हूं

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