बड़ी अजीब है ये घुँघरू

बड़ी अजीब है ये घुँघरू।
बन्धे जब दुल्हन के पैरों में
बड़े खुशनसीब है ये घुँघरू।।
झनकती जब ये कोठों पर
बड़े हीं गरीब हैं ये घुँघरू ।
बांध के किन्नर भी नाचे
पर बदनसीब है घुँघरू।।
पीतल के हो या हो चांदी के
कला के नींब है ये घुँघरू।
विनयचंद साहित्य सरगम के
सदा करीब है ये घुँघरू।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

किन्नर

किन्नर ——– व्यंगात्मक हंसी में भी प्रेम तलाशते, अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर यह संवेदनाओ से भरे हृदय अपनी दो जून की रोटी के लिए…

Responses

+

New Report

Close