बस मेरा अधिकार हो
देह में अभिमान की गर्मी पड़ी
आसुंओं के स्रोत सूखे पड़ गये
नैन की झिलमिल सुहानी पुतलियां
आग के ओले गिराती रह गई।
बाजुओं की शक्ति से कमजोर की
कुछ मदद करने की चाहत खो गई
हर खुशी पर बस मेरा अधिकार हो
लूट लेने की सी आदत हो गई।
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— डॉ0 सतीश पाण्डेय, चम्पावत उत्तराखंड
एक लाइन में क्या आपकी तारीफ़ लिखू
पानी भी जो देखे आपको तो प्यासा हो जाये..।
बहुत सुन्दर 💐💐💐💐💐💐💐
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Nice
धन्यवाद जी
सुन्दर
धन्यवाद जी
वेलकम
बेहतरीन 👌👌
बहुत सारा धन्यवाद
Waah
धन्यवाद
Waah sir bahut badiya
thanks