बाँसुरी की तान पर राधा दीवानी हो गई
बाँसुरी की तान पर
राधा दीवानी हो गई
मीरा दीवानी हो गई
प्रज्ञा’ दीवानी हो गई
छेंड़ता मुझको है नटखट
नंदबाबा का दुलारा
छोंड़े ना मोरी कलाई
ब्रज की गोपिन का है प्यारा
प्रज्ञा लिखकर प्रेम पाती
अपने मोहन को मनाती
सारी-सारी रात राधा
वृंदावन में रास रचाती
प्रीत में सुधबुध को खोकर
हरि की प्यारी हो गई
बाँसुरी की तान पर
राधा दीवानी हो गई…
अतिसुंदर रचना
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बहुत खूब
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