बेटी घर की रौनक होती है
बेटी घर की रौनक होती है
बाप के दिल की खनक होती है
माँ के अरमानों की महक होती है
फिर भी उसको नकारा जाता है
भेदभाव का पुतला उसे बनाया जाता है
आओ इस रीत को बदलते है
एक बार फिर उसका स्वागत करते है
बेटी घर की रौनक होती है
बाप के दिल की खनक होती है
माँ के अरमानों की महक होती है
फिर भी उसको नकारा जाता है
भेदभाव का पुतला उसे बनाया जाता है
आओ इस रीत को बदलते है
एक बार फिर उसका स्वागत करते है
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Wah
Shukriya
बहुत सुन्दर पंक्तिया है।
Shukriya
सुंदर रचना
Shukriya
वाह बहुत सुंदर
वाह
Good
Nice
वाह
👏👏
वाह वाह
क्या बात है बिल्कुल सही कहा आपने बेटी घर की रौनक होती है