बेटी बचाओ – बेटी पढाओ
उसके सिर्फ दो बेटियाँ थी
दोनों सरकारी स्कूल मैं पढती थी
अबकी उन्हें सिर्फ बेटा ही चाहिए था
लेकिन फिर से बेटी हो गई
अभी आधा घंटा ही जी पाई थी
अल्लाह को प्यारी हो गई
घर में खुशी का माहौल था
जैसे कुछ हुआ हीं नहीं था
दोनों बेटियाँ मां से पूछ रही थी
माँ दादी ने गुड़िया को क्यों मारा
क्या वे हमें भी मार डालेंगी
दोनों बहनें सहम – सहम कर जीने लगी
और ऊँची – ऊँची डिग्रियां लेकर बड़ी हो गई
आज वो माँ – बापू पर बोझ नहीं थी
अपने रुपयों से ब्याह करवा रही थी
फिर क्यों बेटियों को बोझ समझा जाता है
क्यों बेटों से कम समझा जाता है
प्रस्तुति – रीता अरोरा
behtareen ji
अति सुन्दर रचना