Categories: शेर-ओ-शायरी
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घर और खँडहर
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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इंसा, इंसा को क्या देता है…….
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वाह क्या बात है👏👏👏
हृदय से आभार आपका🙏🙏
आपका भी सर
सुन्दर
शुक्रिया जी
ख़ुदा तो बेदिल हो नहीं सकता,
ये ज़माना ही है जो संगदिल हुआ जाता है।
बस यूँ ही इस बार एक खफा इंसान का मन महसूस करके लिखा है
ये मेरे व्यक्तिगत विचार है सर, कि भगवान बुरा नहीं करते है।कुछ इंसानों के व्यक्तिगत स्वार्थ या कोई और वजह से हम अपने सपनों या अपने कुछ अपनों से दूर हो जाते हैं। परन्तु फिर भी अनायास ही हम ईश्वर को दोष दे देते हैं।क्या करें
सुंदर
शुक्रिया
बेहतरीन
शुक्रिया जी