भरूँ रंग मन में
गाऊँ गीत, भरूँ रंग मन में
होली मनाऊँ, प्रीतम संग में।
लाल रंगाऊँ प्रीति की चोली
पीत-हरे से खेल लूँ होली।
रंग उड़ाओ मारो न बोली
आओ ना हम संग खेलो होली।
तन मन रंगों से भरपूर रंग दो
ऐसे मनाओ हम संग होली।
गाओ-बजाओ प्रीति के सुर दो
नेह से मेरी गागर भर दो,
ले आओ तुम मित्रों की टोली
गाओ-बजाओ खेलो होली।
होली के रंग बिरंगे ख़ूबसूरत पर्व पर रंगों का इन्द्र धनुषी सौन्दर्य बिखेरती हुई बहुत ही सुन्दर और शानदार कविता। सुंदर लय और सुंदर भाव, लिए हुए बहुत ही सुन्दर रचना
वाह 🙏
होली के रंग बिखेरती
बहुत सुंदर रचना
कमाल की रचना
वाह बहुत बढ़िया रचना
बहुत खूब
गाऊँ गीत, भरूँ रंग मन में
होली मनाऊँ, प्रीतम संग में।
लाल रंगाऊँ प्रीति की चोली
पीत-हरे से खेल लूँ होली।
रंग उड़ाओ मारो न बोली
आओ ना हम संग खेलो होली।
तन मन रंगों से भरपूर रंग दो..
रंगों के त्योहार पर बहुत ही शानदार व उच्चकोटि की रचना