भुआ
बैठे थे गुमसुम से एक टक निहार के
दादी आयी बोली फिर
भुआ आ रही है ससुराल से
ये सुनके खुश हुए की भुआ हमारी आएगी
उनके आने से इस घर की रौनक बढ़ जाएगी
अपने साथ वो मेरे भाइयो को भी लाएगी
हम सबको वो खेल खिलाएगी
मेरे लिए वो स्पेशल ड्रेस भी लाएगी
भुआ भतीजे का तो रिश्ता ही न्यारा है
एक रिश्ते में ये कई रिश्ते निभाती है
प्रेम बरसाने में तो वो माँ बन जाती है
बड़ी बहन की तरह हर मुश्किल में मदत कर जाती है
तारीफ में उनकी तो शब्द कम पड़ जायेंगे
नदी क्या सातो सागर भर जायेंगे
भुआ हमारी निभाती हर रीत है
भुआ हमारी प्रेम का प्रतिक है
Nice
Good
Good
Khoob
सुन्दर रचना
वाह