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ममता

एक युवती जब माँ बनती है,
ममता के धागों से बच्चे का भविष्य बुनती है,
ज़ज्बात रंग -बिरंगे उसके,
बच्चे के रंग में ढलते हैं,
दिल के तारों से हो झंकृत,
लोरी की हीं गूंज निकलती,
माँ अल्फाज़ में जैसे हो,
दुनियां उसकी सिमटती चलती ,
फिर क्या, नयनों में झिलमील सपने,
आँचल में अमृत ले चलती ,
पग -पग कांटे चुनती रहती,
राहों की सारी बाधाएं,
दुआओं से हरती चलती,
हो ममता के वशीभूत बहुत,
वो जननी बन जीवन जनती है,
एक युवती जब माँ बनती है,
ममता के धागों से बच्चे का भविष्य बुनती है।।

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