महामानव
महामानव
जब जब अंधेरा छाता है,
कोई बन प्रकाश तब आता है,
जिसके आने से सभी दिशाएं करती उसे प्रणाम हैं,
वो मानव रूपी राम है।
जो अंधकार में दीपक बनकर,
तम को हरता है, खुद जलकर
उसका भूमंडल भक्तिभाव से,
करता सदा ही वंदन है,
वो मानव देवकी नंदन है।
जो परमारथ के व्रत को अर्पित
जिसने तन मन किया समर्पित ,
जो मन, क्रम और बुद्धि के स्वर से
गंगाजल सम शुद्ध है, वो मानव गौतम बुद्ध है।
जो मानव मन का भेद मिटाकर
दे संबल, समता की अलख जगा कर ,
जो अपने कर्मों की ज्योति से जगपूजित और एक मानक है,
वो मानव बाबा नानक है।
जो आदर्शों और परंपरा से
आभुषित है लोक विधा से,
जिसके जीवन से प्रेरित हो
सब गाते गौरवगान हैं,
वो ही जननायक महाप्राण है।
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