माँ

।। माँ ।।

वो दूर गया है परसों से माँ सोई नहीं है बरसों से
माँ की आँखों से ही तो घर-घर में उजाला है।
ए वक्त,ए हवा,ए फिज़ा जरा संभल मुझे कम न समझ
हर वक्त मेरे साथ मेरी माँ का साया है।
मुझे खौफ नहींअब किसी बदी का
मेरे माथे पर माँ ने काला टीका जो लगाया है।
मैं रोई नहीं, माँ को मेरे गमों की भनक लगे
जब भी मैंने देखा, माँ ने छुप कर भीगा आँचल सुखाया है।
गर्दीशों में भी खुश हूँ,माँ की दुआओं का असर है
वरना जमाने ने तो मेरा कदम कदम पे जनाजा निकाला है।
भूख क्या है आज तक मुझे पता नहीं चला
अभी भी माँ के हाथों में जो निवाला है।
आँख करूणा,हाथ दुलार,होठ दुआ,आँचल ममता,दिल प्यार
यही तो है माँ,माँ में दुनियां व जनन्त का प्यार समाया है।
माँ की फटकार में भी प्यार छुपा है दोस्तों
इस गीली मिट्टी को माँ ने ही तो ढाला है।
जब हर इंसाँ ने माँगा दे दो हमें एक एक ईश्वर
तब जाकर ईश्वर ने माँ को बनाया है।
जब जब भी जन जन ने ईश्वर को पुकारा
माँ ने उन्हें जन्म दे धरती पे उतारा है।
** ” पारुल शर्मा ” **

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