मां वीणावादनी

कितना भी बना लो शिक्षा को व्यापार,
मां वीणावादनी करेंगी अपने बच्चों पर उपकार।
शीश आशीष ज्ञान का भण्डार मन मस्तिष्क में भरकर,
करती रहेंगी सदैव दृष्ट पापीयों का संहार।।

✍महेश गुप्ता जौनपुरी

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