मालिक सभी को सुनते है

एक बार अकबर बादशाह को प्यास लगी। वह अपनी प्यास बुझाने के लिए एक फकीर के झोंपड़ी के निकट गया। जब उसने आवाज लगाई तो एक बारह साल की बच्ची बाहर निकल कर फिर वापस अपनी झोंपड़ी में चली गई। कुछ देर बाद फकीर बाहर निकला।अकबर – मुझे प्यास लगी है। क्या पानी मिलेगा? फकीर हां हां कहते हुए बाल्टी के सहारे कुएँ से पानी ले कर अकबर के सामने खड़ा हो गया। अकबर ने पानी पीया। अकबर – तुम्हारे घर में वह नन्हीं सी बच्ची कौन है? फकीर -वह मेरी इकलौती बेटी है। अकबर -बहुत प्यारी बच्ची है। मै अकबर बादशाह हूँ। तुम्हें कभी भी किसी चीज की जरूरत पड़े तो मेरे महल में आ जाना। आज तक कोई खाली हाथ वापस नहीं लौटा है। क्योंकि अकबर किसी के एहसान नहीं रखता है। इतना कह कर अकबर वहाँ से चल पड़ा। समय यों ही गुज़रता गया। फकीर की बेटी जवानी की दहलीज़ पर कदम रख चुकी थी। फकीर दिन रात सोचा करता था कि कब अपनी बेटी के हाथ पीले कर दूँ। बस यही चिंता फकीर को हमेशा सताता रहता था। एक रात अचानक अकबर बादशाह की बात याद आ गयी। फकीर बहुत ही उम्मीद ले कर सुबह ही अकबर बादशाह के यहाँ पहुँच गया। अकबर फकीर को देखते ही कहा -आओ। देखो मेरा ठाट बाट। कहो ,तुम्हें मैं क्या दूँ ।माँगो दुनिया की हर चीज़ मेरे पास मौजूद है। फकीर आगे कहता कि अचानक अजान पर गयी। वह फकीर को कहा -तुम आराम करो। मै नमाज अदा करके आ रहा हूँ। अकबर की बातें फकीर को कुछ हज़म नहीं हुआ। वह अकबर के पीछे पीछे चल पड़ा। उसने अकबर को हाथ उठा कर कुछ मांगते देखा। वह सोचने लगा इतना बड़ा राजा को क्या कमी रह गई है जो उपर वाले से आज भी मांग रहा है। नमाज़ अदा करके अकबर फकीर के पास पहुँचा। फकीर -महाराज आप क्या मांग रहे थे अल्लाह से। अकबर -दूआ मांग रहे थे। फकीर -क्यों? अकबर -ए मेरी शान शौकत सब तो उन्हीं के देन है। आज मेरे पास धन दौलत सब कुछ उन्होंने ही दिया है। इतना सुन कर फकीर वहाँ से चलने लगा। अकबर ने कहा -तुम्हें कुछ नहीं चाहिए? फकीर -महाराज। मैं भी उसी मालिक से मांगुंगा जिस मालिक से आप सदा मांगते है। वह आपको सुनते है। क्या हमें नहीं सुनेंगे? अकबर उस फकीर को देखते ही रह गए। रास्ते में वह फकीर अपनी बेटी के ब्याह के लिए उपर वाले को सच्चे मन से याद किया। कुछ दूर आगे जाने के बाद उसे पैसों से भरा हुआ एक थैला मिला। उसी पैसे से अपनी बेटी के हाथ पीले कर दिए। तब से उस फकीर को यकीन हो गया कि मालिक सभी को सुनते है।

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