मुझे बारिश में भीगना पसंद था
मुझे बारिश में भीगना पसंद था,
तम्हें बारिश से बचना…
तुम चुप्पे थे, चुप रह कर भी बहुत कुछ कह जाने वाले।
मैं बक-बक करती रहती।
बस! वही नहीं कह पाती जो कहना होता।
तुम्हें चाँद पसंद था, मुझे उगता सूरज।
पर दोनों एक-दूजे की आँखों में कई शामें पार कर लेते।
मुझे हमेशा से पसंद थीं बेतरतीब बातें और तुम्हें करीने से रखे हर्फ़।
सच! कितने अलग थे हम..
फ़िर भी कितने एक-से।
Good
थैंक्स
Nice poem
Thank u so much ritu ji
वाह
Good
Very nice lines