Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वृद्ध की अभिलाषा
एक-एक करके चले गए, जो बने थे मेरे सब अपने क्रम-क्रम से बिखर गये वो सुन्दर रचित मेरे सपने अब तो तन्हा हूँ, तन्हाई है…
स्मृति शेष
ईमेल, चैटिंग ही अपना भविष्य क्या हस्तलेखन अब है स्मृति शेष ? नववर्ष का कार्ड नहीं प्रेमपत्र लेखन स्वीकार नहीं कलम कागज का जमाना बना…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-10
दीर्घ कविता के इस भाग में दुर्योधन के बचपन के कुसंस्कारों का संछिप्त परिचय , दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण को हरने का असफल प्रयास और उस…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
Nice
थैंक्स फॉर कमेंट्स
Nice
धन्यवाद
Good
थैंक्स
वाह
🙏
Wah
थैंक्स
सुंदर