मैं किसान हूं|
मैं किसान हूं , हां मैं किसान हूं |
धरती मां की मैं ही आन बान शान हूं|
मैं किसान हूं||
धरती मां को चीर के तुम्हें खिलाया है,
अपना पसीना पौछकर तुम्हें जिलाया है,
अपनी नींदें भूलकर तुम्हें सुलाया है,
तुमने मुझको आज क्यों इतना रुलाया है,
यह मत भूलो मैं करता ,अन्न दान हूं
मैं किसान हूं , हां मैं किसान हूं|
मैं किसान हूं||
मैं सड़कों पर आज हुआ क्यों,
इतना मैं मजबूर हुआ क्यों,
मुझको तुमने छोड़ दिया क्यों,
लाके ऐसा मोड़ दिया क्यों,
देश का दुश्मन बना दिया क्यों,
खुद से हमको अलग किया क्यों,
तुम राष्ट्रगीत हो तो मैं राष्ट्रगान हूं
मैं किसान हूं हां मैं किसान हूं|
मैं किसान हूं||
बहुत ही सुन्दर कविता, वाह बहुत खूब
बहुत खूब
Bahut sundar
Wahhh
Gud.
Gud
बहुत खूब
किसानों पर लिखी हुई बहुत सुन्दर और सटीक रचना
शानदार कविता👌
Nice poem
😍😍
Wahh kya poem hai😍😍😍😍
गजब
Very nice😊😊
Very nice
Nice बहुत अच्छे सुंदर कविता
wah ..Bahut sundar .
Most heart touching word , nice poem with real words well done👍👍
Nice poem🎶🙂
Very nice ji
Very nice joshi ji 💐💐
Very nice poem joshi ji
Inspirational ❤️❤️ true voice of a farmer
सुंदर
Well done sir you have done an incredible job it’s to much inspiring …❤️❤️🥰🥰
Nice poem with real words well done and heart touching words…
Very good lines for our farming brothers & very beautiful creation on farmer movement…👌🙏
Nice line and very heart touching
कवि महाराज की जय हो कविता बहुत अच्छी है
Good
Keep it up dear 💕
Oks
बहुत अच्छी कविता क्या बात
Great Job 👍 Sir
Keep it up
Very good
अति सुन्दर कविता
Ati sundar… Sarahniya