Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
एक वक़्त वो भी था
पिछले साल की बात 2020 का एक वक़्त वो भी था, एक वक़्त वो भी था, जब हम अजनबी हुआ करते थे, एक वक़्त वो…
“यही मैं सोच-सोचकर हैरान!!!! “….
ऐक हजारों धरती माता, ऐक ही आसमान, मजहब के झगड़ों में क्यूँ उलझ रहा इंसान, यही मैं सोच -सोचकर हैरान, यही मेै सोच-सोचकर हैरान, भारी…
बहुत खूब
Nice
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद 🙏