Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
आश्ना कब तेरे शहर
आश्ना कब तेरे शहर में कोई मिलता है जिसको देखो वो अजनबी सा मिलता है हमने देखी है इस जहाँ में ऐसी दरियादिली बिन मांगे…
ऑफिस(Office) की दुनिया
ऑफिस(Office) की दुनिया आओ सुनाऊं आपको बीते हुए पलों की, कुछ खट्टी, कुछ मीठी दास्तां, कुछ मेरी, कुछ आपकी बात करते है, चलो कुछ बीते…
है चाह मिलूं उससे जो अक्सर
गजल है चाह मिलूं उससे जो अक्सर नहीं मिलता | दीवार घरों में है मगर घर नहीं मिलता | ये आप भी देखें है कि…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
True
Hmmm
Nice
धन्यवाद
Nyc
थैंक्स
Kuch to bhi mil he jaata hai
आपको
व
थ
Good
धन्यवाद