यूं ही चलते चलते

निगाहों के पैमाने से शख्शियत भांप लेते है,
राह चलते ही बुलंदियों के कद मांप लेते हैं।।

जलने वालों का कुछ हो नहीं सकता,
वो तो मेरी बेफिक्री से भी जल बैठे ॥

सरहदें बदलती हैं दिनरात अपनी,
चलो समझौता, सुलह, करार करें ॥

मेरे वश में नहीं है, तुम्हारी सजा मुकर्रर करना ।
तुम ही कर लो जिरह औ फैसला मुकम्मल कर लो ॥

वह चलते पानी से बह जाते हैं,
थोड़ा गर उनको आजमाते हैं ॥

अपने वजूद से यूँ कतराते हैं,
आइना देख के भी घबराते हैं ॥

ऐसा भी नहीं कि कोई
रंजिश है उन्हें हमसे,
दुश्मनों से वफादारी
बस निभानी थी उन्हें ।।

जालिमों तुम खोप्ते रहो सीने में खंजर
हम उफ्फ़ भी करें तो गुनाह हो जाये

ये जो इश्क का इक कतरा,
तेरी आंखों से झलका है ।
मयस्सर है ना मुकद्दर में ,
जमाना इससे जलता है ॥

मेरी हसरतों का क्या, कटी पतंग हैं ।
वो लूटने की बात, मन की उमंग है ॥

कांटों का काम है चुभते रहना,
उनका अपना मिज़ाज होता है,
चुभन सहकर फिर भी सीने में,
कोई गुल उसका साथ देता है ।

@ नील पदम्

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close