बीड़ी की बास

कुछ स्वप्न ममतत्व के, कोमल भावनाएँ, कोमल अटूट बंधन और इन सबके बीच, अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट की ऊट-पटांग अबूझ भाषा सिर्फ सफ़ेद चोगे…

आज कुछ मत कहो

नहीं, आज मुझसे कोई तस्वीर रंगने को मत कहो। क्योंकि, हर बार जब मैं ब्रश उठाता हूँ, और उसे रंग के प्याले में डूबता हूँ;…

दौर

जाने कैसे दौर से गुजर रहा हूँ मैं, वक़्त के हर मोड़ पे लड़खड़ाता हूँ, वो बन्दा ही जख्म-ए-संगीन देता है, जिसको पूरे दिल से…

तब

तबकी बात और है, ना करो तबकी बातें, थे तब भी लेकिन, जख्म हँसते ना थे। होंगे सांप तब भी, यकीनन आस्तीनों में, रहते थे…

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