ये जिन्दगी के रंग है

ये जिन्दगी के रंग है, कभी खुशी तो गम है ।
आज जिसे अपना कहते ना थके ।
कल वो किसी का मेहमान है ।
मौत तो सबको आनी है, फिर क्यूँ जिन्दगी से मोह है?
ये जिन्दगी के रंग है, कभी खुशी तो गम है ।।1।।

सुख-दुःख, हार-जीत, लाभ-हानि, मान-अपमान ।
जिन्दगी के दो पहलु है, कभी हार है तो कभी जीत है ।
कभी आशा है तो कभी निराशा द्वार खड़ी है ।
आज जिन्दगी से मोह, कल मौत को गले लगाना है ।
ये जिन्दगी के रंग है, कभी खुशी तो गम है ।।2।।

आज किसी घर बालक का जन्म हुआ ।
शोर-शबारा डोलक-डमरूँ बजे उनके घर है ।
कल पंछी उड़ने है उनके दर से आसमां में धुँआ उड़ने है ।
मौत को किसने मात दिया है, ईश्वर की शक्ति अपरम्पार है?
ये जिन्दगी के रंग है, कभी खुशी तो गम है ।।3।।

द्वन्दों के चक्रव्यूह में नर यूँ बसा है ।
जैसे कामी काम के वश है, लोभी लोभ के भागी है।
करूणा, दया, ममता सब द्वन्दों के आगे शर्मसार है ।
मानव माया के आगे हारे है, ईश्वर सर्वशक्तिमान है ।
ये जिन्दगी के रंग है, कभी खुशी तो गम है ।।4।।
कवि विकस कुमार 21:54 29/06/2020

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