रात सोती क्यों नहीं

थक जाते है ये मानव तन
थके हारे है सबके मन
सुलाती गोद में सबको
रात तू सोती क्यों नहीं ?
सितारे गगन में टिमटिमाते
करता तो तुझसे चांद भी बातें
रात तू रहती मुस्कुरा के
मिटा कर सब की थकान
रात क्यों थकती नही
तेरा स्पर्श मीठा सा
सुबह तक भी आंखें खुलती नहीं
रात तू सोती क्यों नहीं ?
—-✍️एकता
बहुत खूब
अति सुंदर भाव
बहुत सुंदर रचना
बहुत खूबसूरत पंक्तियां
अति सुन्दर रचना