रे! नर मन के बहकाबे में तुम कभी न बहकना

मन के बहकावे में यदि तु बहकेगा
तो तेरा मानव जीवन व्यर्थ चला जायेगा
—————————————————
रे! नर मन के बहकाबे में तुम कभी न बहकना
इस मानव देह से तुम हरिगुण गाना
रे! नर मन के बहकाबे में तुम कभी न बहकना
इस मानव देह से तुम हरिगुण गाना
—————————————–
रे! नर मन के बहकाबे में तुम कभी न बहकना
इस मानव देह से तुम हरिगुण गाना ।।1।।
—————————————————
तेरे अन्दर बैठा रहता है एक देवता
तु उनकी बातों को कभी न नकारना
तुम गीता का पाठ बड़े ध्यान से करना
और उनका भाव तुम अपनी आत्मा से पुछना
———————————————-
रे! नर मन के बहकाबे में तुम कभी न बहकना
इस मानव देह से तुम हरिगुण गाना ।।2।।
—————————————————
फल की आसक्ति को तु खुद पर कभी हावी ना होने देना
जो देंगे प्रभु तुम उसी में खुश रहना
हरिनाम से तु कभी विमुख न होना
सुख हो या दुख तुम सदा राम राम जपना
———————————————–
रे! नर मन के बहकाबे में तुम कभी न बहकना
इस मानव देह से तुम हरिगुण गाना ।।3।।
कवि विकास कुमार

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close