वतन को सिला फिर खूब दिया
दिलों को जोड़ा ना गया, फैला दी मुल्क में खलिश।
सुख चैन लूट कर,आतंकियों ने
लगा दी आतिश।
1. धर्म के ठेकेदारों ने धर्म के नाम की बांटी बक्शीश,
मासूम सी जानों को
खून खराबे और द्वेष की देदी दानिश।
2.प्यार बांटा ना गया नफरत की रखी ख्वाहिश,
फूल तो तोड़ दिए कांटों की कर रहे परवरिश।
3. खाया जिस थाली में छेदा उसी को ये उनकी जुंबिश,
वतन ने अपनाया, प्यार जताया , उसी से की रंजिश!
5. शांति और चैनो अमन मुल्क से सब लूट लिया,
यहां तो घर के भेदियो ने जुल्म खूब किया।
6.फ़िरदौस सी जमीं पर
बहाया खून अत्याचार खूब किया,
आगोश में लेने का वतन को सिला फिर खूब दिया।
निमिषा सिंघल
खालिश =बेचैनी
आतिश=आग
दानिश=शिक्षा
जुंबिश=हरकत
फ़िरदौस=स्वर्ग
Sunder
🙏🙏
Good
🌺🌺🌺🌺
Good
❤️❤️❤️❤️
Right
💐
बहुत सुंदर और वास्तविक
मार्मिक रचना