Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
किस राह के हो अनुरागी
ईश्वर किसी एक धर्म , किसी एक पंथ या किसी एक मार्ग का गुलाम नहीं। अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानने से ज्यादा अप्रासंगिक मान्यता कोई…
मिस्टर लेट लतीफ
हरेक ऑफिस में कुछ सहकर्मी मिल हीं जाएंगे जो समय पर आ नहीं सकते। इन्हें आप चाहे लाख समझाईये पर इनके पास कोई ना कोई बहाना…
चिंता न कर तू चिंता चिता है
चिंता में डूबे हुए ओ मनुज सुन चिंता न कर तू चिंता चिता है। चिंता से होता नहीं लाभ कुछ भी, होता है वो जो…
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