विजदेव नारायण साही

विजदेव नारायण साही जी का
आज जन्मदिन है,
उनको श्रद्धांजलि अर्पित कर लूं
यह कवि का मन है।
तीसरा सप्तक में उदित हुए,
अंदाज कबीरी मिलता है
मछलीघर, साखी में उनका
बौद्धिक परिचय मिलता है।
आलोचना क्षेत्र में ऐसी
धमक रही जिससे उनको
कुजात मार्क्सवादी कहते थे
ऐसा परिचय मिलता है।
हिन्दी कविता में ‘लघुमानव’ का
बिंब प्रस्तुत कर जिसने
मानव के उत्थान पतन को
शिद्दत से महसूस किया,
आज जन्मदिन पर उस कवि को
श्रद्धांजलि देने का मन है,
चार पंक्तियों की कविता से
साही जी को आज नमन है।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

कोरोनवायरस -२०१९” -२

कोरोनवायरस -२०१९” -२ —————————- कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है| इसके इलाज की खोज में अभी संपूर्ण देश के वैज्ञानिक खोज में लगे हैं | बीमारी…

Responses

  1. विजदेव नारायण साही जी के जन्म दिन पर कवि सतीश जी ने बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत की है । उनके ,कबीरी अंदाज़, आलोचना क्षेत्र में धमक और “लघुमानव “कविता के बारे में हमें जानकारी दी है । चिर परिचित लय बद्ध शैली और शब्दों का संतुलित समन्वय कविता को पढ़ने में सरस बनाता है ।बहुत ही सुन्दर कविता और उसकी शानदार प्रस्तुति ।

    1. बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी, आपके द्वारा कविता पर इतनी बेहतरीन टिप्पणी की है। मन खुशी से भर गया। इस विश्लेषणात्मक क्षमता को सैल्यूट।

  2. वाह वाह, विजदेव नारायण साही जी पर बहुत ही उम्दा लिखा है सर, जन्मदिन पर साही जी को नमन

+

New Report

Close