विनती

हे घनश्याम गोपाल मुरारी।
मेरी सुधि लो गिरिवरधारी।।

दीनबंधु करुणा के सागर।
भगतबच्छल प्रभु आरतहर।।
जगतपति जगतारनहारी,
मेरी सुधि लो गिरिवरधारी।।

तेरी कृपा बरस रही निश-दिन।
बाहर-भीतर किनमिन किनमिन।।
दो बूंद का चातक ‘विनयबिहारी’,
मेरी सुधि लो गिरिवरधारी ।।

Related Articles

हम दीन-दुःखी, निर्बल, असहाय, प्रभु! माया के अधीन है ।।

हम दीन-दुखी, निर्बल, असहाय, प्रभु माया के अधीन है । प्रभु तुम दीनदयाल, दीनानाथ, दुखभंजन आदि प्रभु तेरो नाम है । हम माया के दासी,…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close