विरासत
विरासत जिन्दगी की
मिली है जो हमको
समझ पाने में अक्षम
कैसे बतलाये तुमको।
खुली हवा में जीना
स्वचछ सांस लेना
निर्मल था पानी
उसे भी हमने छीना
वारी बिक रही है
वायु बिक रहे हैं
अनमोल खजाना
मिला निःशुल्क जो हमको
लापरवाही कितनी बताये किसको
विरासत जिन्दगी की मिली है जो हमको
समझ पाने में अक्षम कैसे बतलाये तुमको।
वाह, बहुत सुंदर रचना
सादर अभिवादन सर
अति सुन्दर रचना
सर अभिवादन सर
सादर अभिवादन सर
बहुत खूब
सुन्दर भाव