वो सड़क का बेटा
वो तरस रहा था माँ की ममता
बाबा के दुलार को_
मगर तकदीर में अनाथ होना था
सड़क उसकी बिछौना था_
पल-पल हर शख्स में उसने ढूँढा था
वही एक तो उसका सपना था_
कई रातों की लोरी अंतहीन दुलार
पर तकदीर में रिश्तों की टोकरी खाली थी_
वो तन्हा ही ज़िन्दगी का सफर काट रहा था_
आँसू बो रहा था दिल में
दर्द की फसल काँट रहा था_
मिला नहीं जो उसे प्यार
वो सबको बाँट रहा था_
ज़रूरत नहीं थी किसी को उसकी
वो अंतिम साँसे भी सड़क पर ले रहा था__
सब जी रहे थे वो मर रहा था__
वो सड़क पर जन्मा सड़क पर ही चल बसा__
किसी की आँख में आँसू न थे..इंसां था
जानवर की तरह मर गया__
फिर एक सड़क थी
फिर एक दर्द का अंत हो गया__
अंतिमसंस्कार गर्द में ही
कचरेवाले ने कचरे में ही कर दिया___
-PRAGYA-
मर्म स्पर्शी रचना
Heart touching
वाह बहुत सुंदर
मार्मिक रचना
Nice
Wah
V good
Superb