शायद किया बेचैन तूने

आज क्यों एकांत में
याद तेरी आ रही है,
क्यों हुआ बेचैन यह मन
क्यों उदासी छा रही है।
शायद किया बेचैन तूने
इसलिए ही मैं व्यथित हूँ
पर करूँ क्या प्रिय मेरे
तुझ से थोड़ा दूर जो हूँ।

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Responses

  1. कवि ने अपनी तन्हाइयों का दर्द बहुत ही दिल को छू देने वाले अंदाज़ में बयां किया है। आपका लेखन वास्तव में काबिले – तारीफ़ है।
    …….. कलम को मेरा सलाम है सर ।

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