शुरूआत कैसे करें

तुम्हीं बताओ कैसे
एक नयी शुरुआत करें,
तुझे जानकर भी
फिर से तुझपर
कैसे इन्तिखाब करें ।
जिनकी फितरत
रही हैंअकसर
ताश के पत्तों की तरह,
जिनकी बातें
जल में उठते
बुलबुले की तरह ,
फिर बताओ तुम्हीं
कैसे पहले-सी बात करें ।
टूटे हुए धागों को
पहले-सी आकृति
देने की कोशिश,
पूरी तरह साकार
क्या, कभी हो पाई है
गहरे घावों के
दर्द की भरपाई
कहाँ हो पाई है
जाते-जाते भी
छोङे निशानों से
बताओ मुलाकात कैसे करें
एक नयी शुरुआत कैसे करें ।

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