श्रम करने की ओर
नींद में इस कदर न खो जाओ
ओ युवा! श्रम करके बढ़ जाओ,
छोड़ आलस्य की सभी बातें,
कर्म करने की ओर लग जाओ।
भूख मेहनत की आज सोने न दे,
हौसला एक पल भी खोने न दे,
प्यार की पेटियां भरी हों सब,
नफरतों का जमाव होने न दे।
नींद में इस कदर न खो जाओ
ओ युवा! श्रम करके बढ़ जाओ,
छोड़ आलस्य की सभी बातें,
कर्म करने की ओर लग जाओ।
भूख मेहनत की आज सोने न दे,
हौसला एक पल भी खोने न दे,
प्यार की पेटियां भरी हों सब,
नफरतों का जमाव होने न दे।
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वाह बहुत खूब
JAY ram JEE ki
वाह बहुत खूब कविता
परिश्रम और कर्म करने के लिए प्रेरित करती हुई कवि सतीश जी छंद शैली में बहुत उम्दा प्रस्तुति। अति सुन्दर रचना
बहुत सुंदर
बहुत बढ़िया,शानदार
बहुत खूब
परिश्रम करके आगे बढ़ने को प्रेरित करती हुई रचना