सच की बनती है बात

बात केवल सच की हो,
सच का हो सम्मान,
झूठ त्याग दे आज ही,
बात समझ इंसान।
बात समझ इंसान,
राह सच की अपना ले,
सच पर चल कर राह
स्वयं की आज बना ले,
कहे लेखनी सुबह
के बाद जन्मती रात,
जो सच रखता साथ
उसकी बनती है बात।

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Responses

  1. बात केवल सच की हो,
    सच का हो सम्मान,
    झूठ त्याग दे आज ही,
    बात समझ इंसान।
    __________ सच्चाइयों की राहों पर चलने को प्रेरित करती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही सुन्दर और श्रेष्ठ रचना। शिल्प और भाव का सुन्दर समन्वय

  2. बात केवल सच की हो,
    सच का हो सम्मान,
    झूठ त्याग दे आज ही,
    बात समझ इंसान।
    बात समझ इंसान,
    राह सच की अपना ले,
    सच पर चल कर राह
    स्वयं की आज बना ले,

    सच्चाई की राह पर चलना सिखलाती रचना

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