Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कुछ दिल की सुनी जाये
चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ कर कुछ दिल की सुनी जाये कुछ मन की करी जाये एक लिस्ट बनाते हैं अधूरी कुछ आशाओं की उस…
झूठ का पाश
खुद को,झूठ के एक लौह जाल में घेर लिया तुमने झूठ का ये लिहाफ़,क्यों ओढ़ लिया तुमने, ये भी झूठ और वो भी झूठ, हर…
हिन्दी देवी गीत – भक्ति दान दे दो |
हिन्दी देवी गीत – भक्ति दान दे दो | हे प्रमेशवरी हे दुर्गेशवरी भक्ति दान दे दो | काली कपालिनी दैत्य दलिनी शक्ति दान दे…
एक शहर मे तीन मित्र
एक शहर मे तीन मित्र रहते थे,तीनो मे बहुत गहरा मित्रता थी, एक का नाम गौरव जो शांत-सोभाव के थे उनको गीत गाना गुनगुना कविता…
👌👌
Nice
Good